लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई और ईमानदारी के कार्य किए हों।

लेखक ने अपने जीवन जुड़ी दो घटनाओं में लोगों की अच्छाई और ईमानदारी का जिक्र किया है। मेरे भाई अमित से जुड़ी ऐस ही एक घटना मुझे याद आती है। शादी के बाद मेरा भाई अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर उत्तराखंड गया था। दोनों रोडवेज बस से वहां जा रहे थे। तभी बस में दोनों की आंख लग गई और कोई वहां से उनका कपड़ों से भरा बैग लेकर फरार हो गया। इस बैग में उनके खर्च के सारे पैसे थे। इस बात की चिंता पूरे रास्ते दोनों की सताती रही। दोनों पूरे रास्ते उस चोर कोसते रहे।

यह सच बात है कि दुनिया में भले और ईमानदार लोगों की कमी नहीं है। शिवपुरी (उत्तराखंड) पहंचते ही दोनों बस से उतरकर अपने कैंप की तरफ लौटने लगे। तभी पीछे से एस शख्स की आवाज सुनाई दी, जिसने जोर से आवाज लगाते हुए कहा कि भाई साहब अपना बैग कहां छोड़े जा रहे हो। अपना खोया हुआ बैग देखकर दोनो की जान में जान आ गई। पास आकर उस व्यक्ति ने कहा कि वो गलती से अपना बैग समझकर आपका बैग ले गया था। उसने यह भी बताया कि आपका पूरा सामान और पैसे सुरक्षित हैं।


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